۴ آذر ۱۴۰۳ |۲۲ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 24, 2024
इत्रे क़ुरआन

हौज़ा | सभी संवेदनशील प्राणी अल्लाह ताला के प्रति समर्पण करते हैं, चाहे वे चाहें या नहीं। स्वर्ग में चेतन प्राणियों का अस्तित्व। सृष्ठी में ईश्वरीय नियमों का शासन।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी

بسم الله الرحـــمن الرحــــیم    बिस्मिल्लाह अल-रहमान अल-रहीम
أَفَغَيْرَ دِينِ اللَّهِ يَبْغُونَ وَلَهُ أَسْلَمَ مَن فِي السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضِ طَوْعًا وَكَرْهًا وَإِلَيْهِ يُرْجَعُونَ   अफ़ाग़ैरा दीनल्लाहे यबग़ूना वलहू असलमा मन फ़िस समावाते वल अर्ज़े तौअन व करेहन व इलैहे युरजऊन। (आले इमरान, 83)

अनुवाद: क्या वे अल्लाह (इस्लाम) के धर्म के अलावा किसी और (धर्म) की तलाश करते हैं, भले ही आकाश और पृथ्वी में जो भी हैं वे स्वेच्छा से या अप्रसन्नता से उसके प्रति समर्पण करते हैं? हैं और अंततः सभी उसी को ओर लौटा दिए जाएंगे।

क़ुरआन की तफसीर:

1️⃣ अहले किताब का धर्म से विमुख होना।
2️⃣ अल्लाह तआला के वादे पर अमल करना खुदा का धर्म है।
3️⃣ धर्म एक प्राकृतिक मामला है।
4️⃣ अल्लाह के सामने समर्पण करना ही धर्म की वास्तविकता है।
5️⃣ सभी चेतन प्राणी सर्वशक्तिमान अल्लाह के सामने समर्पण करते हैं।
6️⃣ स्वर्ग में चेतन प्राणियों का होना।
7️⃣ सृष्ठी की व्यवस्था में ईश्वरीय नियमों का नियम।


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तफ़सीर राहनुमा, सूर ए आले-इमरान

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